बॉलीवुड में जमे रहना कोई खेल नहीं है और इसमें बहुत सारे दाव-पेंच लगते हैं। प्रतिभा होते हुए भी यहां टिकना बहुत ही मुश्किल होता है। लिहाजा कई उम्दा कलाकार भी देखते ही देखते नजरों से ओझल से हो जाते हैं। ऐसे ही अभिनेता हैं टीनू वर्मा। साल 2000 में आई फिल्म मेला में इन्हें नोटिस किया गया और इसमें वे आमिर पर भी भारी पड़े थे।
18 साल बीत गए और अब वह कहां और कैसे हैं, किसी को कोई फिक्र नहीं है।
फिल्म ‘मेला’ में विलेन गुजर की भूमिका में वे भरपूर दहशत पैदा करने में कामयाब रहे। बता दें कि टीनू की पहली फिल्म 1993 में आई ‘आंखें’ थी, जो बेहद सफल रही थी।
इन्होंने फिल्म ‘राजा हिंदुस्तानी’, ‘शोला और शबनम’, ‘गदर’, ‘बाज’ और ‘गुलामी’ जैसी फिल्मों में अपनी खलनायकी से लोगों को प्रभावित किया। हालांकि, बाद में उन्हें काम मिलना बंद हो गया। काम के अभाव के चलते टीनू अपने परिवार के साथ वक्त बिताने लगे।
टीनू ने बतौर स्टंट डायरेक्टर बॉलीवुड से लेकर तेलुगु और भोजपुरी फिल्मों में काम किया हुआ है। इन्हें बेस्ट एक्शन के लिए फिल्मफेयर अवार्ड भी मिल चुका है। ये टीवी सीरियल में भी विभिन्न किरदारों में दिखे।
टीनू ने कई फिल्मों के लिए बतौर निर्देशक भी काम किया। टीनू ने फिल्म ‘मां तुझे सलाम’ (2002), ‘बाज’ (2003), ‘राजा ठाकुर’ (2006) , ‘दिस वीकेंड’ (2012) और ‘गुलामी’ (2015) आदि फिल्मों से निर्देशन में हाथ आजमाए।
अब वे फिल्मों से दूर से हो गए हैं। उनके फिल्मी करियर पर गौर करेंगे तो मालूम चलता है कि उन्हें जिन किरदारों से पहचान मिली, अब वैसे किरदार आज की फिल्मों में दिखते नहीं।
फिल्मी कहानियों के बदलते ट्रेंड के कारण टीनू जैसे कई कलाकार पीछे छूट गए। अभिनय प्रतिभा तो कमाल की है, लेकिन उसके लिए उचित स्पेस की भी जरूरत है।