इक्कीसवीं सदी के भारत में बहुत तेजी से बदलाव आया है। देश में मिडिलक्लास सोसाइटी से जुडे़ लोगों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है। पुराने लोग कह रहे हैं, अब इंडिया वह नहीं रहा जो कभी नब्बे के दशक के पहले देखा जा सकता था। इस बदलते भारत में काफी सारी चीजें जबरदस्त तरीके से हिट भी हुई हैं और धीरे-धीरे ‘ट्रेंड’ का भी रूप ले रही हैं। आइये हम आपको बताते हैं बदलते भारत में सबसे ज्यादा हिट 13 ट्रेंड्स के बारे में जिसे आपने भी जरूर अनुभूत किया होगा।
1. हैवी वेंडिंग रिसेप्शन
ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया में मँहगी शादी सबसे बड़ा और व्यापक ट्रेंड है। आपकी वैल्यू शादी में डेकोरेशन, सजावट और मोटे दहेज़ की रकम पर डिपेंड करती है। शायद इसीलिये हर कोई अपनी हैसियत से ज्यादा का खर्च शादी में करता दिखाई देता है।
2. इंजीनियरिंग की डिग्री
भारत में इस डिग्री की अहमियत ब्रह्मा जी के वरदान से भी ज्यादा है। हो भी क्यों न डिग्री लाखों रुपये फीस खर्च करके जो मिलती है। डिग्री मिलते ही छोरों के भाव इंद्रदेव के सिंहासन से टकराने लगते हैं। कस्बों की गलियों में इंजीनयरिंग स्टूडेंट की तड़ी साफ़ देखी जा सकती है।
3. शहरी दिखने की ललक
भारत को ‘गांवों’ का देश कहा जाता है फिर भी हमारे यहाँ लगभग हर कोई शहरी दिखने का भरसक प्रयास करता है। ‘गंवार’ शब्द को गाली का रूप दिया जा चुका है। आपके थोड़े से असभ्य बर्ताव को ‘गंवारपने’ की कैटेगरी में डाल दिया जाता है। ऐसा माहौल बना है मानो सारी सभ्यता और तहजीब का ठेका ‘शहरियों’ ने ही उठा रखा है।
4. फीलिंग धार्मिक
आजकल भारत में कुकुरमुत्तों की तरह रिलीजियस सेंटर्स खुल गए हैं। हाई-प्रोफाइल गुरु कल्चर तेजी से पैर पसार रहा है। खुद को धार्मिक दिखाना स्टेट्स सिम्बल बन गया है। वैसे धार्मिक होना/दिखाना आपके लिए बहुत फायदेमंद है। मसलन आपको स्प्रिचुअल फायदा हो न हो, पर समाज में आपकी छवि बेहतरीन बन जाती है। आपको फेसबुक और ट्विटर पर सैकड़ों लोग ‘फीलिंग रिलीजियस’ हैश टैग करते मिल जायेंगे।
5. DSLR फोटोग्राफी
आप इसे हर किसी कमाऊ (जिसके पास थोडा फ़ालतू पैसा है) व्यक्ति के पास देख सकते हैं। बंदा DSLR कैमरा पकड़ते ही खुद को ‘एंसल एडम्स’ समझने लगता है। ज्यादातर मामले में ये ‘कैमरे’ सोसाइटी में एक तरह से इंटेलेक्चुअल्स और स्पेशल दिखने की भावना से यूज में लिए जाते है।
6. गोरी चमड़ी
“गोरे रंग पे न इतना गुमान कर, गोरा रंग झट से उतर जाएगा” ये हिंदी गाना लोगों की गोरेपन की सनक को सीधे तौर पर दर्शाने में काफी है। मार्केट में ऐसे-ऐसे प्रोडक्ट्स के विज्ञापन हैं, जो सिर्फ एक हफ्ते में काले को गोरा बनाने का दावा करते हैं। वैसे फोटोशॉप के जमाने में रंग की समस्या काफी हद तक कम हो गयी है। प्रोफाइल पिक्चर में हर कोई गोरा दिखने लगा है।
7. आईआईटी एंड आईआईएम
भारत में IIT और IIM के क्रेज का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं की एक IITian लोगों के बीच अल्बर्ट आइन्स्टीन और IIM से पढ़ा हुआ बंदा ‘स्टीव जॉब्स’ जैसी प्लेस वैल्यू रखता है।
8. गोल्ड प्रेम
हम भारतीय सोने से बढ़कर कुछ नहीं मानते। वैसे यह प्रेम नया नहीं बल्कि हजारों साल पुराना है। हम सबसे ज्यादा निवेश सोने में ही करते है,वो भी ज्वेलरी के रूप में। आलम यह है की सोने के प्रेम से तो हमारे भगवान भी अलग नहीं हो पाए हैं और सबसे ज्यादा सोना भगवान के पास ही है।
9. बॉलीवुड
कला प्रेमी भारतीयों के बीच बॉलीवुड ने अच्छी खासी पैठ बनायी है। उत्तर से लेकर दक्षिण तक हिन्दुस्तान की यूनीफाइंग फ़ोर्स के रूप में ‘बॉलीवुड’ के योगदान को नकारा नहीं जा सकता। आप किसी भी तबके में जाइए वहाँ भले ही प्रधानमन्त्री मोदी का नाम सुनाई दे न दे ,पर सल्लू और शाहरूख जसी बॉलीवुड स्टार्स का नाम सुनाई दे ही जायेगा।
10. क्रिकेट और आईपीएल
भले ही हमारा राष्ट्रीय खेल हॉकी है पर भारत में क्रिकेट ही सबसे ज्यादा खेला जाता है। क्रिकेटर किसी फिल्म सेलेब्रेटी से कम रसूख नहीं रखते। फिलहाल क्रिकेट के सामने पॉलिटिक्स, बिजनेस और बॉलीवुड सभी नतमस्तक हैं। आईपीएल में आप सारे तडकों(लटके-झटके) की छौंक के साथ किरकिट का आनंद ले सकते हैं।
11. इंग्लिश-विंग्लिश
जनसामान्य में ऐसा परसेप्शन आम है की यदि आपको अंगरेजी आती है तो समझिये कि आप में सारी योग्यताएं प्रभु ने कूट-कूट कर भर दी हैं। हमारे जैसे बंदे तो अंग्रेजी के आगे बिलकुल सरेंडर हो जाते हैं।
12. गर्लफ्रेंड
यदि आप कॉलेज लाइफ में रिलेशनशिप में नहीं है तो आपको ‘घोंचू’ जैसे रूपकों से नवाजा जा सकता है। सीधी-सादी और टिपिकल इंडियन लड़कियों को तो ‘बहन’ जी कह के कोसा जाता है। इसलिए यदि सोसाइटी में अपनी इज्जत बनाना चाहते हैं तो गर्लफ्रेंड/बॉयफ्रेंड जरुर बनायें।
13. ब्रांडेड एसेसरीज
पिछले 15-20 सालों में वैश्वीकृत होते भारत में ‘ब्रांडेड’ शब्द का चलन तेजी से बढ़ा है। ब्रांड कल्चर का आलम है की आप कुछ भी लपेट लो बस ‘ब्रांड’ के अन्दर होना चाहिए। लोगो को आई-फोन चलाना आये या न आये लेकिन चूँकि ब्रांड है इसलिए हाथ में लिए रहते हैं। आपकी सोसाइटी का आकलन आपके द्वारा अपनाए ब्रांड की क्वालिटी के बेसिस पर होता है।