भारत ने वियतनाम को डिफेन्स के लिए 50 करोड़ डॉलर (करीब 3328 करोड़ रु.) देने का ऐलान किया है। वहीं भारत और वियतनाम के बीच रक्षा, आईटी, अंतरिक्ष, दोहरा कराधान और समुद्र में सूचना जैसे 12 अहम समझौते हुए हैं।
इन समझौतों से वियतनाम को भारतीय रक्षाकवच हासिल हुआ है। रक्षा समझौतों के जरिए भारत अब वियतनाम की रक्षा पंक्ति को मजबूत कर सकेगा।
माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्री मोदी का वियतनाम दौरा पाकिस्तान अधीकृत कश्मीर में चीन की गतिविधियों का माकूल जवाब है। चीन की यात्रा पर जाने से पहले पीएम मोदी का वियतनाम दौरा चीन के लिए एक संदेश सरीखा है।
पाक अधीकृत कश्मीर में जिस तरह पाकिस्तान को चीनी शह मिलती रही है, भारत भी उसी तर्ज पर वियतनाम से अपने रिश्ते मजबूत कर रहा है। वियतनाम के रास्ते भारत चीन को कड़ा संदेश देना चाहता है।
करीब 15 साल बाद कोई भारतीय प्रधानमंत्री वियतनाम के दौरे पर पहुंचा है। इससे पहले वर्ष 2001 में तात्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी हनोई के दौरे पर पहुंचे थे।
वियतनाम दौरे का समापन कर प्रधानमंत्री मोदी जी-20 समिट में हिस्सा लेने के लिए चीन के हांगझोउ शहर को रवाना हो जाएंगे।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने ट्वीट कियाः
PM highlights: Decided to upgrade our Strategic Partnership to a Comprehensive Strategic Partnership pic.twitter.com/xh7DaDvZ4S
— Vikas Swarup (@MEAIndia) September 3, 2016
प्रधानमंत्री मोदी का वियतनाम दौरान दक्षिण एशिया में रणनीति के लिहाज से भी अहम है। साउथ चाइना सी में वियतनाम के साथ मिलकर भारत तेल की खोज कर रहा है। चीन को इस बात पर ऐतराज है।
हाल ही में द हेग स्थित इंटरनेशनल ट्रिब्यूनल ने दक्षिण चीन सागर पर चीन के दावे को खारिज किया है। चीन ने हालांकि इस फैसले को मानने से इन्कार कर दिया है।
चीन और वियतनाम एक-दूसरे के धुर विरोधी रहे हैं। इन दोनों देशों के बीच तीन बार युद्ध हो चुका है।
माना जाता है कि हाल के वर्षों में वियतनाम पर भारत का असर बढ़ा है। एक सर्वेक्षण के मुताबिक, यहां की करीब दो-तिहाई आबादी (66%) भारत के पक्ष में है।