हमारा देश भारत पुराने समय से ही पश्चिमी लोगों के लिए एक आकर्षण का केंद्र रहा है। भारत की संस्कृति, कई देशों से भी प्राचीन भारतीय सभ्यता, आध्यात्म और अपनापन। यही सब हमारे देश की ऐसी खूबसूरती है जो हमें अन्य देशों से अलग खड़ा करती है। कई विदेशी साहित्यकारों एवं कलाकारों ने भारत की इस खूबसूरती को दुनिया के सामने पेश करने की अलग-अलग कोशिशें की हैं। कोई आध्यात्म के जरिए भारत को दुनिया के सामने पेश करता है तो कोई योग के जरिए। कई लोग तो अब भी भारत को गन्दगी व गरीबी से भरे देश के तौर पर दुनिया के सामने रखते हैं।
इनमें से कुछ लोगों का नजरिया काफी हटकर होता है। हम उन लोगों की बात कर रहे हैं जो भारत ही नहीं बल्कि दुनिया के हर देश को एक ही नजर से देखते हैं, इंसानियत की नजर से। इंसानियत की नजर अपने आप में बेहद ताकतवर होती है, जो रंग, धर्म या जाति को दरकिनार कर हर किसी को एक इंसान के तौर पर देखती है। दुर्भाग्यवश, दुनिया को इस नजर से देखने वालों की संख्या बेहद सीमित रह गई है।
ऐसे ही एक फोटोग्राफर हैं, पास्कल मेनार्ट्स। जिन्होनें हाथों में कैमरा पकड़े 10 सालों तक दुनिया के अलग-अलग देशों की सैर की है। इस दौरान वे भारत में भी रहे। पास्कल ने अलग-अलग देश के लोगों की टी-शर्ट पर लिखे खूबसूरत वाक्यों को अपनी तस्वीरों में कैद किया है।
पास्कल की तस्वीरें इसलिए भी खूबसूरत हैं, क्योंकि उन्होनें इसे धर्म, रंग या जगहों के आधार पर नहीं बांटा। बल्कि ये तस्वीरें तो विभिन्न देशों के लोगों में एक समानता सी दिखा रही हैं।
पास्कल ने अपनी कहानी बोर्डपांडा नामक वेबसाइट पर साझा की है।
आइए पास्कल के कैमरे में कैद भारत समेत अन्य देश के लोगों की इन खूबसूरत तस्वीरों पर एक नजर डालते हैं।
1. कोलकाता, भारत (2008)
कोलकाता की सड़कों पर हाथरिक्शा खींचते इस व्यक्ति की टी-शर्ट पर लिखा है,
मैं निकम्मा नहीं हूं, बल्कि मुझे एक बुरे उदाहरण के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है।
इस वाक्य में एक खूबसूरत सन्देश छुपा हुआ है, जो कहता है कि दुनिया की खराब से खराब चीज भी किसी काम तो आ ही सकती है। उसी तरह हर बुरे इंसान में कोई एक अच्छाई तो होती है जो उसे इंसान बनाती है।
2. दिल्ली, भारत (2015)
दिल्ली की गलियों में खींची गई इस तस्वीर में टी-शर्ट पर संत ऍगस्टीन के द्वारा कहे गए बेहद उम्दा शब्द लिखे हुए हैंः
यह दुनिया एक किताब की तरह है, और जो लोग इस दुनिया सैर नहीं करते वे इस किताब का केवल एक ही पन्ना पढ़ पाते हैं।
शायद कैमरे के पीछे खड़े पास्कल को भी इन्हीं शब्दों से प्रेरणा मिली है।
3. पुष्कर, भारत (2008)
वैसे तो इस टी-शर्ट में कोई बहुत खास शब्द नहीं लिखे हुए हैं। लेकिन तस्वीर की खूबसूरती उसे पेश करने के तरीके और देखने वाले की नजर पर निर्भर करती है।
इस तस्वीर को देखकर अधिकतर लोगों ने कमेंट करते हुए लिखा कि हाँ प्यारे बच्चे, तुम ही हो सुपरमैन। बहुत से लोग इस नन्हे सुपरमैन की हंसती हुई आंखों के दीवाने भी हो गए।
4. कोलकाता, भारत (2015)
उम्र के अंतिम पड़ाव पर खड़े इस शख्स की टी-शर्ट आज के युवाओं को एक सटीक सन्देश देती नजर आ रही है। इंसान को न बीते कल की फ़िक्र होनी चाहिए और न ही आने वाले कल की, बल्कि खुश रहने के लिए सिर्फ आज में जीने की जरूरत है। वो कहते हैं न, जियो ऐसे जैसे ये तुम्हारी ज़िन्दगी का आखिरी दिन हो।
5. दिल्ली, भारत (2013)
पास्कल की खींची गई तस्वीरों में से सबसे मार्मिक तस्वीर शायद यही है। इस तस्वीर की गहराई को शब्दों में बयान कर पाना उतना ही मुश्किल है जितना हाथ में लाठी पकड़ कर सागर की गहराई नापना।
6. भोपाल, भारत (2015)
शायद इस मासूम बच्चे को उसकी टी-शर्ट में लिखी लाइन का मतलब न पता हो, लेकिन अरस्तू की कही गई ये लाइन वक्त की बंदिशों से परे अनंतकाल तक सच ही साबित होती रहेंगी।
इसमें लिखा है, बुराई ही इंसानों को एक साथ लाती है।
मौजूदा परिप्रेक्ष्य में अरस्तू की कही इस बात के कई उदाहरण मौजूद हैं। इसे इंसानियत की अच्छाई कहें या बुराई, लेकिन सच तो यही है कि जब बुराई का चाबुक चलता है तभी इंसान एकजुट होकर बुराई के खिलाफ खड़ा होता है। ठीक वैसे ही जैसे बलात्कार की घटनाओं में जलने के बाद हमारे देश के लोग साथ मिलकर खड़े हुए। लेकिन ज़रा सोचिए यदि हम बुराई के हावी होने का इंतज़ार न करते हुए हमेशा एक दूसरे का हाथ थामें खड़े होना सीख जाएँ तो यह दुनिया कितनी खूबसूरत हो जाएगी।
7. ओश, किर्ग़िज़स्तान (2016)
अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में हम सभी किसी वारियर या योद्धा की तरह ही तो हैं। कोई दफ्तर में तो कोई सड़क किनारे खाने की तलाश में, सभी किसी योद्धा की तरह अपनी-अपनी जिंदगी की जंग लड़ने में लगे हुए हैं।
8. साइगोन, वियतनाम (2017)
इस व्यक्ति की टोपी पर लिखे ये चंद शब्द आपकी जिंदगी में खुशहाली ला सकते हैं। खुश रहने का सबसे कारगर तरीका यही है, दूसरे लोग आपके बारे में क्या सोचते हैं उसे नजरअंदाज करिए और जिंदगी अपने हिसाब से जीने की आदत डाल लीजिए।
9. संत गिल्स, रीयूनियन (2017)
रीयूनियन के एक छोटे से गांव संत गिल्स में ली गई इस तस्वीर में एक अपनापन सा झलक रहा है। पहली नजर में तो ऐसा लगा मानो यह मेरे देश के ही लोग हैं। यही इस तस्वीर की खूबसूरती है, जो टी-शर्ट में लिखे इस एक शब्द में भी नजर आ रही है – यूनाइटेड।
काश पूरी दुनिया ही सीमाओं के बीच न बंटते हुए यूनाइटेड, या संगठित होती। सभी एक साथ, एक समान। तभी इस दुनिया की असली खूबसूरती का अनुभव कर पाना सम्भव हो सकेगा।
10. इलाहाबाद, भारत (2013)
चेहरे में बुढ़ापा, लेकिन अंदर अब भी युवाओं वाला जोश। ऐसे नज़ारे हमारे देश में आसानी से दिख जाते हैं। लेकिन इसे जिस खूबसूरती से इस तस्वीर में दिखाया गया है, उस नजर से हमने शायद कभी अपने देश को देखा ही नहीं।
अब जब कभी भी आप ऐसे कोई नजारे देखें तो दो मिनट के लिए ठहरकर गहराई से सोचते हुए नज़रों के सामने मौजूद दृश्य की असल खूबसूरती समझने की कोशिश करना। आखिर देखने का नजरिया ही तो बदलना है, सुंदरता तो हमारे आस-पास काफी मात्रा में मौजूद है।
फोटो साभार – बोर्डपांडा।
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