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कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो को मोदी सरकार नजरअंदाज कर रही है?

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कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो इन दिनों भारत के दौरे पर हैं।

अपने परिवार के साथ दिल्ली में उतरने के बाद वह ताजमहल का दौरा करने के लिए आगरा गए।

आज वह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के गृह प्रदेश गुजरात में थे। अब कहा जा रहा है कि वह अमृतसर स्थित स्वर्ण मंदिर के दौरे की तैयारी कर रहे हैं। हालांकि, इस ट्रूडो के पहले आधिकारिक भारतीय दौरे की खास बात यह रही है कि तीन से अधिक बीत जाने के बावजूद अब तक उनके साथ किसी वरिष्ठ मंत्री ने मुलाकात नहीं की है। यहां तक कि ट्रूडो की अगवानी करने के लिए मोदी सरकार का कोई कैबिनेट मंत्री नहीं गया था, बल्कि कृषि मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत गए थे।

आश्चर्य की बात यह है कि आमतौर पर ट्वीटर पर सक्रिय रहने वाले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जस्टिन ट्रूडो के दौरे पर 140 शब्द भी खर्च करना जरूरी नहीं समझता। यही वजह है कि अब कनाडा में ट्रूडो के इस दौरे पर सवाल उठाए जा रहे हैं। कनाडा के पत्रकारों का मानना है कि भारत सरकार जस्टिन ट्रूडो को जानबूझकर नजरअंदाज कर रही है। इस संबंध में डेली मेल में यह रिपोर्ट प्रकाशित की गई है।

टोरंटो सन की पत्रकार कैन्डाइस मैल्कम ने अपने ट्वीट में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा दूसरे विदेशी नेताओं की अगवानी की तस्वीरें पोस्ट की हैं। साथ ही ट्रूडो के साथ भेदभाव की बात कही है।

मैल्कम लिखती हैंः

मैल्कम ने अपने ट्वीट्स में इस बात को प्रमुखता दी है कि मोदी सरकार ने जस्टिन ट्रूडो को नजरअंदाज किया है।

एक अन्य पत्रकार बिल टफ्ट लिखते हैंः

दिल्ली में जब जस्टिन ट्रूडो अपने परिवार के साथ उतरे, तब उन्हें भारत सरकार के द्वारा हल्के से लिया गया। मेन स्ट्रीम मीडिया ने ट्रूडो के बेटों के क्यूटनेस पर घंटों खर्च किए, लेकिन असली चर्चा तो सोशल मीडिया पर हुई। ट्रूडो के दौरे को लेकर लोग अलग-अलग तरह के विचार व्यक्त कर रहे हैं। कई लोग मोदी सरकार के इस रवैए को कड़ा जवाब मान रहे हैं, तो कई लोगों को इसमें कुछ खास नजर नहीं आ रहा है। हालांकि, बहस की गंभीरता तब बढ़ गई जब जस्टिन ट्रूडो आगरा में ताजमहल देखने गए लेकिन मुख्यमंत्री आदित्यनाथ के साथ उनकी कोई मुलाकात नहीं हुई। यह चौंकाने वाला इसलिए भी है क्योंकि कुछ सप्ताह पहले जब जब इज़राइली प्रधानमंत्री नेतान्याहु ताजमहल के दौरे पर गए थे, तब योगी आदित्यनाथ खुद आगरा पहुंचे थे।

ट्रूडो को इस तरह से ‘नजरअंदाज’ करने के पीछे उनका खालिस्तान समर्थकों के करीब होना है।

जस्टिन ट्रूडो खालिस्तानी आतंकियों के करीब रहे हैं। इनके कैबिनेट के चार मंत्रियों में एक अमरजीत सोढ़ी ने जनवरी में खालिस्तान समर्थक बयान दिया था। सोढ़ी ने कहा था कि अगर कोई शांतिपूर्ण तरीके से खालिस्तान बनाए तो इसमें कोई गलत बात नहीं है। इससे पहले जस्टिन ट्रूडो पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह से मिलने से इन्कार कर चुके हैं। माना जा रहा है कि इसके बाद से ही भारत सरकार नाराज है।


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